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चाँद बहुत उदास था….

lets free ur mind birds
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कल चाँद बहुत उदास था
तारे भी थे बुझे बुझे
हवा भी थी रुकी रुकी
रात के दामन में,
छुपा सा कोई राज था
कल चाँद बहुत उदास था ……
*******
पूछा तो कुछ बोला नहीं
भेद कुछ खोला नहीं
हंसी में उसकी दर्द था
आँखों में थी नमी बसी
दिल से दूर था कही
कहने को मेरे पास था
कल चाँद बहुत उदास था ….

*******
sad moon 3

रंगत जरा फीकी सी थी
नींदे  कही उडी सी थी
सपने खड़े थे देहलीज पे
आंखे मगर खुली सी थी
धडकन भी थी खामोश सी
बस कहने बार को श्वास था
कल चाँद बहुत उदास था ….
*******

डूबा हुआ था याद में ‘
टूटे किसी इक खवाब में
कोशिश तो थी संभलने की
पर दर्द था आवाज में
हवाओ की सरसराहट में
बस दर्द भरा राग था
कल चाँद बहुत उदास था ….
*******

खिडकी पे बैठे रही
बस उसे तकती रही
चाहा की उससे पूछ लू
एक राज तो बता दे तू
क्यों बेदाग़ सी थी रौशनी
क्यों चाँद दागदार था
कल चाँद बहुत उदास था ….
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(रौशनी धीर )

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