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कशमकश

lets free ur mind birds
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Kashmakashभीतर पल पल करवट ले इक खालीपन,
होने लगी है खुद से ही खुद की अनबन
दूजा कोई होता तो समझा देती मै,
सौ दुनिया की करके बाते बहला देती मै …..
सपनों की दुनिया का तस्वुर करता है,
जाने क्यों सच मे जीने से डरता है ,
अपना सपना होता तो मिटा देती मै,
सच की झूठी दुनिया दिखला देती मै…..
कहता है मुझसे अब जीना छोड़ भी दे,
प्यार के सारे बंधन अब तू तोड़ भी दे,
मेरा जीवन होता तो लौटा देती मै,
मुझको ही होता तो प्यार भुला देती मै …..
थकी थकी सी रूह को सुला भी दे अब,
रुके रुके अश्कों को बहा भी दे अब
आंखे बंद करने से नींद अगर आ जाती तो,
मूंद के पलके खुद को सुला देती मै…..
अश्कों को अगर समझने वाला होता वो,
तो रोते रोते भी मुस्कुरा देती मै
काश के मुझको खुद को ही बहलाना आ जाता
तो आस की हर एक जोत बुझा देती मै…..

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