Menu
blogid : 591 postid : 1015

एक फैसला

lets free ur mind birds
lets free ur mind birds
  • 53 Posts
  • 2418 Comments

images (1)

अगर मैं फर्क कर पाता, हकीकत और फसानों में

तो मेरा नाम न आता, पागल और दीवानों में….

वो सच बोला कभी न, और मैंने कुछ झूठ न समझा,

हुआ न फर्क कभी मुझसे सच और बहानों में …..

मोहब्बत में खुदा को ढूंढता हूँ, रब को इंसानों में,

वही करता हूँ जो लिखा है कुराणों में पुराणों में…..

जब जिस्म नीला हो गया, तो एहसास हुआ तब ही,

जहर दिल में भरा था और थी मिठास जुबानों में…

बहुत चाहता है पर, रुलाता है मुझे बात बात पर,

सोचता हूँ वो मेरे अपनों में है या बेगानों में…..

मचलती, उठती-गिरती लहरों में थी कशिश कोई

किया जो फैसला रौशनी तूने डूबने का तूफानों में…..

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh