तारों का कारोबार
इश्क का इजहार कर या इससे इंकार कर
जो भी करना हो पूरे दिल से यार कर……..
बनाना हो किसी को दोस्त या निभानी हो दुश्मनी ‘
तो सामने से हाथ बढ़ा न पीछे से वार कर……..
खुदा से हो इश्क या इंसान से हो प्यार
हर शै मे फिर बस उसका ही दीदार कर……..
यूँ तो तू प्यार मैं करता है मरने की बातें
पैदा करने वाले के लिए भी तो कुछ निसार कर……..
मुद्दत हुई है शायद वो मुझे भूल गया है
पूछे वो मेरा हाल मुझे यूँ बीमार कर……..
माना की मुझे पत्थर कहता है हर कोई
मै मोम हूँ तू तो मेरा ऐतबार कर……..
था वो जनून तेरा थी बंदगी तेरी
कह के बेवफा न उसे रुसवा सरे बाजार कर……..
फैला है अँधेरा दिलो में और रूह मैं
चल रौशनी आ अब तारों का कारोबार कर……..
((मेरी और से जागरण के सभी साथियों को नववर्ष की हार्दिक बधाई सबके लिए नया साल खुशियों और सफलता से भरा हो ))
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