lets free ur mind birds
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क्यों चाँद हँस रहा है?
क्यों मुस्कुरा रहे है तारे ?
क्यों साहिलों पे आ के खो जाते हैं किनारे?
क्यों होता है कोई अपना ?
क्यों बन जाते हैं बेगाने?
क्यों जिंदगी तलाशती है जीने के लिए सहारे ?
हर गम सवाल मैं है,
हर खुशी सवाल मैं है,
क्यों समझ नहीं पाते हम खुदा के ये इशारे ……
मैं हँसती हूँ कभी बेवजह,
रोती हूँ कभी जार जार ,
कोई ख़ुशी नहीं बेगानी
कोई गम नहीं हमारे ……….
मै बेवजह ही अक्सर उलझ जाती हूँ इन बातों मै
जवाब नहीं जिनके न पास मेरे न तुम्हारे…….
(रौशनी)
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