मिलते है जब भी पूछते है कोई नयी खबर, हर आदमी अब तो एक चलता फिरता अख़बार है…….. जिस से पूछों कहता है कुछ ठीक नहीं है, हर शख्स को अब फिकरों ने कर दिया बीमार है……… छोटी सी उम्र मे भी लगता है बूढ़ा, दब गया है वो गरीबी तले जिन्दगी इक पहाड़ है…… जब भी देखता हु उसको चुप सा मै हो जाता हूँ, वो शख्स मासूम सा अब क्यों सबका गुनहगार है…… वो बार बार कहता है मुझको एक बार तो आजमा, तुझको न हो खुद पे मगर मुझको तो ऐतबार है……. रिश्तों को बचाते है आजकल सलाहकार, दो दिलों के बीच अब कितनी सख्त सी दिवार है……… यों तो अब दुनिया में कुछ हासिल करना मुश्किल नहीं, दो प़ल अपनों के संग बिताना हाँ मगर दुश्वार है……
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