lets free ur mind birds
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जब चाहता है हँसा देता है,
जब चाहता है रुला देता है,
मुझको समझता है वो रेत के मानिद,
घर बनाता है और फिर गिरा देता है………..
मै इल्तजा करता हु चाँद बना दे मुझको,
मगर वो सूरज सा बनाकर मुझको जला देता है ………..
जब मै कहता हूँ की किसी आंगन का दीया बन जाउगा मै,
वो तेज आंधी बनकर लौ को बुझा देता है………..
खिलोने की तरह खेलता है फिर तोड़ देता है,
दर्द से तडपता हु जो, तो धीरे से मुस्कुरा देता है………..
मागने से मौत देता है- वो जीने की सजा,
जब जीना चाहता हु तो मौत की नींद सुला देता है………..
फिर भी मै खुश हो तेरे साये के नीचे,
जब कश्ती डगमगाती है तू पार लगा देता है………..
मेरे खुदा ये रौशनी तेरी रहमत से रोशन है ,
तेरा ही नूर है जो मंजिल का पता देता है ……..
जब चाहता है हँसा देता है,
जब चाहता है रुला देता है………..
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