Menu
blogid : 591 postid : 456

तेरे हाथ का खिलौना

lets free ur mind birds
lets free ur mind birds
  • 53 Posts
  • 2418 Comments

जब चाहता है हँसा देता है,
जब चाहता है रुला देता है,
मुझको समझता है वो रेत के मानिद,
घर बनाता है और फिर गिरा देता है………..

मै इल्तजा करता हु चाँद बना दे मुझको,
मगर वो सूरज सा बनाकर मुझको जला देता है ………..

जब मै कहता हूँ की किसी आंगन का दीया बन जाउगा मै,
वो तेज आंधी बनकर लौ को बुझा देता है………..

खिलोने की तरह खेलता है फिर तोड़ देता है,
दर्द से तडपता हु जो, तो धीरे से मुस्कुरा देता है………..

मागने से मौत देता है- वो जीने की सजा,
जब जीना चाहता हु तो मौत की नींद सुला देता है………..

फिर भी मै खुश हो तेरे साये के नीचे,
जब कश्ती डगमगाती है तू पार लगा देता है………..

मेरे खुदा ये रौशनी तेरी रहमत से रोशन है ,
तेरा ही नूर है जो मंजिल का पता देता है ……..

जब चाहता है हँसा देता है,
जब चाहता है रुला देता है………..

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to राजेंद्र रतूड़ीCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh