lets free ur mind birds
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जाने कब से खुद की तलाश है,
कही खो गया है मेरा पता
ऐसा उलझा हूँ जिंदगी के शोर मे,
नहीं सुनाई देती अपनी सदा…….
कई सवाल फन उठाए खड़े,
पूछते है किस बात का है गिला
कई दिलों से खेल के तोड़ के अब ढूंढता फिरता है वफ़ा…….
इक खुशी की तलाश में दर बदर,
भटकता है दीवानों की तरह
जरा मिल मुझसे आ के तू, तुझे सिखा दू गम में हँसने की अदा…….
लहरों में डूबते उबरते हुए,
मिलते है मंजिल के निशा
साहिल पे बैठ के करता है नादाँ पार उतरने की दुआ……..
जलता है जब खुद दीया,
मिलती है तब कही रौशनी
जो उजालों से मिलने की चाह है
तो दिल में पहले इक आग जला……….
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