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वह इंतज़ार कर रही है

lets free ur mind birds
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Enjoy_the_Silenceबहुत बोल लिया बहुत लिख लिया .. कभी किसी टीवी चैनल के ऊपर कभी किसी व्यक्ति पर .. ये सही नहीं है- ये गलत है- ये ख़राब है …… बस इसी बहस में हम सब उलझे रहते है… दुसरो की गलतियाँ तलाशते है, उनके कहे का बुरा मानते है , अपने विचार जो अपने लिए होते है उनके दूसरों के नापसंद किये जाने पर भड़क जाते है …… चलिए अब छोडिये ये सब इतनी सारी tensions क्यों ले रहे है आप हम .. कुछ वक़्त अपने लिए भी तो निकालना चहिये … कुछ देर के लिए इन सब से निकल कर चलो कुछ पल खामोशी के साथ बिताये जाये … न जाने वह कब से इंतज़ार कर रही है … ख़ामोशी हम सबको कुछ देना कहती है .. वह सुनहरे पल जो और कही से नहीं मिल पायेगे .. हम और खामोशी कितना सुन्दर लगता है ये शब्द .. किसी एकांत में खामोशी के साथ डेट पे जाकर तो देखिये खुद से ही प्यार हो जाता है … मन को एक गहरा सकून मिलता है … उन सवालों के जवाब मिलते है जो हम बाहर जाकर तलाश करते है … खामोशी कितना कुछ कहती है … हमारे बारे में हमे याद कराती है … सब खुशी के पल उस एक ख़ामोश लम्हे में कैद हो जाते है …….. फिर हम खुद पे हँसते है की किस तरह बच्चों की तरह छोटी छोटी बातों पे बहस करी थी, किस तरह न लड़ने वाली बातों पे लड़े थे … और किस तरह विचारों के शोर में खो गए थे …… खामोशी के साथ कुछ पल बिता कर एहसास होता है की कितना कुछ खोया है इस भीड़ में- मन की शांति खुद से खुद की पहचान… अपने मन के घर से कितने दिनों दूर रहे और रास्तों में भटकते रहे … कुछ पल अपने लिए न जिए तो क्या जिए, जिन्दगी यु भी चार दिन की होती है और इन चार दिनों में क्या एक दिन अपने खुद के लिए नहीं निकाल सकते हम, सिर्फ अच्छा ही नहीं सोच सकते क्या? परेशानियों को एक दिन की छुटी भी नहीं देते हम .. और खुद उमर भर इनसे छुटकारा पाना चाहते है ……. कितने स्वार्थी हो जाते है हम …… अपने भीतर की आवाज को ख़ामोश कर देते है और खुद दूर भागते है उसकी तलाश में …..खामोशी का मतलब तन्हाई या उदासी तो नहीं … इसे जीना सीखो … इसे महसूस करो , शब्दों को आवाज को कुछ आराम दो.. और खामोशी के साथ बात करो… एक शेर अर्ज है
कभी उन्ही को हो जाती है किसी को पाने की चाहत ,
पर हर चाहत का मतलब दीवानगी नहीं होता ….
तेरी यादों मै हम ख़ामोश जो हैं …
हर ख़ामोशी का मतलब नाराजगी नहीं होता ….

मेरे लिए खामोशी सबसे सुन्दर पल है … जब में ख़ामोश होती हु तो सिर्फ अपने साथ होती हूँ, किसी का होना या न होना कुछ असर नहीं करता… क्या पाया क्या नहीं कुछ मलाल नहीं होता… दिमाग और दिल दोनों खामोशी के साथ ख़ामोश हो जाते है परेशान नहीं करते …. ..
ये वह पल होगे जब हम सच्ची खुशी महसूस करेगे- जब हम खामोशी के साथ कुछ वक़्त बिताना शुरू कर देगे …. आखिर कब तक अपने मन को उसके प्रिय से दूर रख पायेगे … उन्हें आपसे में मिला दो तुम्हे भी सब मिल जायेगा ……….न जाने कब से वह हमारा इंतज़ार कर रही है, तो आइये एक दिन खामोशी और खुद के साथ बिताये….. यकीं मानिये ये आपकी जिन्दगी का सबसे खुबसूरत दिन होगा…
.अंत में यही कहुगी…….
खामोशी जिन्दगी के सफ़र में मुसाफिर की मंजिल है
खामोशी खुद ही महफ़िल है ख़ामोशी खुद का हांसिल है

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