lets free ur mind birds
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क्यों दिले बर्बाद को उम्मीद है तेरे आने की
यु तो कसम खाए बैठा है फिर न तुझे बुलाने की……
कैसे करेगा वो वफ़ा, कैसे निभाएगा वादे
उसको तो परवाह है लोगों की ज़माने की……
भूल जा तू भी उसे समझा रहा हूँ दिल को मै
जरुरत क्या है तुझको जफ़ाओं पे अश्क बहाने की…..
वो तो रुसवाइयों के डर से दामन छुडा कर बैठ गया
वो क्या जाने अदा इश्क में मरने की मिट जाने की …..
उसके शहर से लौटा हूँ तनहा और ख़ाली दामन लेकर
उसके शहर में रीत नहीं है हर कदम साथ निभाने की…..
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