lets free ur mind birds
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भीगा-भीगा मौसम है, और भीगी भीगी पलकें,
बाहर बरसे बारिश की बुँदे भीतर आंसू छलके…..
…….
जाने कब से बंद थी सौ दरवाजों के पीछे,
कुछ हँसती कुछ रोती यादें अपनी और ही खिचे..
छा गये मन पे यादों के बादल कुछ गहरे कुछ हलके…….
बाहर बरसे बारिश की बुँदे भीतर आंसू छलके…………
……
रात्तों को मै देखू तारे , तारों में देखू तुमको,
हवा आती है तो लगता है ये छु के आई तुमको,
तेरे कदमों की आहट सुनती हूँ जब आता है चाँद चल के ………
बाहर बरसे बारिश की बुँदे भीतर आंसू छलके…………
……
कब ये दुरी कम होगी- कब होगे पास तुम मेरे,
तुम जानो या मै ही समझू दिल के राज ये गहरे,
रौशनी ढूंढे दीप को अपने अंधेरों से निकल के……
बाहर बरसे बारिश की बुँदे भीतर आंसू छलके…………
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