lets free ur mind birds
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शब्द क्यों मेरे गुम सुम से हो गये है
जाने किन सोचो मे उलझ कर खो गये है …
रात भर इनको पकड़ने के लिए जगती रही
और कलम कागज़ को देख कर ये सो गये है…
बिखरे बिखरे से है दिल के सारे जज्बात
जब से मुझसे वह खफा से हो गये है….
तुम बताओ कैसे अब मै तस्वीरों मै रंगों को भरू
सारे रंग अब बे-रंग से हो गये है…
रौशनी अब तो अंधेरों से निकल
सब परिंदे सफ़र पे रवाना हो गये है…
चल आ उन शब्दों को तलाशे फिर एक बार
वोह कही जो गम के दरिया में खो गये है….
(रौशनी)
(Roshni)
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